गहराई साहित्य की

गहराई साहित्य की,

अतुलनीय है

तथ्य इसके संपूर्ण,

अवर्णननीय है

जो राज इसमें छिपे,

वो गहनीय है

बात करें मजबूती की,

तो सम्माननीय है

गहराई साहित्य की,

अतुलनीय है।

 

होती जिसमें अन्तदृष्टि,

वो बनाता पठनीय है।

जो स्वयं होता क्षुद्र,

वो कहता निंदनीय है।

गहरे भावो को बनाता,

ये प्रकाशनीय है।

गरिमा साहित्य की

मित्रों अकथनीय है।

गहराई साहित्य की,

अतुलनीय है।

 

शब्दों का ये सागर,

अत्यंत गहनीय है

संपूर्ण विश्व में,

साहित्य महनीय है।

समस्त धरा पर इसकी

 महता पूजनीय है।

कटाक्ष साहित्य का,

सबको सहनीय है।

गहराई साहित्य की,

अतुलनीय है।


तारीख: 18.06.2025                                    बबिता कुमावत




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